
हिमाचल डायरी : दो पल के जीवन से… (Sirmour सिरमौर – à¤à¤¾à¤— 2)
शाम के छह साढ़े छह बजे का समय चाय का नियत है, कà¥à¤› मेहमानों के पास अपनी निजी, और कà¥à¤› कैमà¥à¤ª वालों के पास, कà¥à¤² मिलकर इतनी छतरियां है कि सà¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤• करके हाल में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ है | इस तरह के आयोजन का सबसे बड़ा लाठयह है कि आप केवल अपने खोल में ही सिमटे नही रहते बलà¥à¤•ि अजनबी लोगो से मà¥à¤²à¤¾à¤•ात होती है, कà¥à¤› नठदोसà¥à¤¤ बनते है मोबाइल नमà¥à¤¬à¤° à¤à¥€ लिठदिठजाते है और फिर à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में रहने के वादे इरादे à¤à¥€! यूठतो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग गà¥à¤¡à¤—ाà¤à¤µ और दिलà¥à¤²à¥€ के ही है, शायद इनà¥à¤¹à¥€ जगहों पर सबसे अधिक रोजगार के साधनों का सृजन à¤à¥€ हà¥à¤† है जिसकी वजह से देश विदेश से हजारो लोग अपने परिवेश को छोड़ कर इन शहरों में आये है, जिसकी वजह से à¤à¤• नवधनाढà¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¤® वरà¥à¤— का उदय हà¥à¤† है, जो 1990 से पहले की à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ था | और, फिर à¤à¤¸à¥‡ छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ के अवसर पर दो चार दिन अपने PG में पड़े रहने से, या माल में घूमने से बेहतर है कि इस तरह का परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ ही कर लिया जाये | à¤à¤• बड़ा सा गà¥à¤°à¥à¤ª à¤à¤¸à¥‡ ही लडके लडकियों का है, मगर वो अपनी ही दà¥à¤¨à¤¯à¤¾ में मगन है, उन सब की काटेज आस पास ही है, सो उनका अडà¥à¤¡à¤¾ वहीं जमा रहता है | अपने ही मà¥à¤¯à¥‚जिक सिसà¥à¤Ÿà¤® पर वो गाने लगा लेते है और नाचते रहते है | अपनी गिटार à¤à¥€ है, कà¤à¥€ कà¤à¥€ उस पर à¤à¥€ खà¥à¤¦ ही गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ रहते हैं, लडके हों या लडकियाà¤, सिगरेट और शराब के शौक़ीन है और कैमà¥à¤ª के सहयोग से उनकी अनवरत सपà¥à¤²à¤¾à¤ˆ उनके लिठचालू है | à¤à¤• दूसरा गà¥à¤°à¥à¤ª दस लोगों का, दिलà¥à¤²à¥€ से है, जो à¤à¤• ही सà¥à¤•ूल से सन नबà¥à¤¬à¥‡ के पास आउट है, और अब सà¤à¥€ अलग अलग कारà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सलिंपà¥à¤¤ है | मगर उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय बात है कि वो आज à¤à¥€ à¤à¤• दूसरे के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में है | और, कà¤à¥€ कà¤à¥€ उन साथ बिताये गये अपने उन गà¥à¤œà¤°à¥‡ लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को याद करने के लिà¤, अपने परिवारों से अलग à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाते रहते है | दिलà¥à¤²à¥€ से हैं, और अधिकतर पंजाबी हैं, सो शà¥à¤°à¥‚आती संकोच के बाद जब खà¥à¤²à¤¤à¥‡ हैं तो फिर इतना खà¥à¤² जाते हैं कि आप उनकी शाम की महफ़िल में ही अपने आप को जाम उठाये पाते है |
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